वकील / वकीलों पर शायरी, स्टेटस, कोट्स, जोक्स, कविता | Best Advocates Shayari, Status, Quotes, Poetry & Thoughts
वकील / वकीलों पर शायरी, स्टेटस, कोट्स, जोक्स, कविता | Best Advocates Shayari, Status, Quotes, Poetry & Thoughts :-
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एक सच्चे वकील का कार्य हैं दोनों पक्षों के मध्य एकता स्थापित करना जिन्हें पृथक कर दिया गया हैं।
किसी मोहब्बत वाले वकील से ताल्लुक है क्या?
मुझे अपना महबूब अपने नाम करवाना हैं।
हम वकीलों की शख्सियत का अंदाजा तुम क्या लगाओगे गालिब,
जब हम शमशान से गुजरते हैं तो मुर्दे भी उठकर पूछ लेते हैं
वकील साहब, नमस्ते
हमारा केस निपट गया है या अभी चल रहा हैं।
काश मैं भी एक वकील होता,
तो इश्क़ की अदालत में टूटे दिल की पैरवी तो करता।
इश्क़ की हम भी वकालत करते थे,
जब से उन्हें देखा तब से कटघरे में खड़ा हूँ।
जिंदगी नही बदलती किसी की झूठी दलील से,
जिसकी हिफ़ाजत खुदा करे, उसे डर क्या वकील से।
ऐ इश्क़…तेरा वकील बनकर बुरा किया मैंने,
शहर का हर शायर तेरे खिलाफ सुबूत लिए बैठा।
पढ रहा हूँ मै इश्क की किताब,
अगर बन गया वकील तो बेवफा-ओ की खैर नही।
है कोई वकील इस जहान में,
जो हारा हुआ इश्क जीता दे मुझको।
उठानी हैं तो आवाज़ उठाईये तलवार नहीं,
अरे आप वकील हैं साहब बदमाश नहीं।
मैं अपनी वफ़ा की दलीले देता रहा,
उस मोहब्बत के वकील ने मेरी एक ना सुनी।
कबिरा इस संसार में सबसे सुखी वकील,
जीत गये तो फ़ीस मिले हार गये तो अपील।
खुदा महफूज रखे आपको इन तीन बलाओं से,
वकीलों से, हकीमों से और हसीनों की निगाहों से।
बनने दे हमें एक दफा महोब्बत का वकील,
फिर देख तेरे जाली इश्क की खेर नही।
सबूत हजार थे तुझे मुजरिम करार करने के,
पर ये दिल तो तेरा वफादार वकील निकला।
मुकदमा हम पे मोहोब्बत का चला दो,
शर्त ये है कि वकील हमारा सरकारी हो।
किसी मोहब्बत वाले वकील से ताल्लुक है क्या?
मुझे अपना महबूब अपने नाम करवाना हैं।
हम वकीलों की शख्सियत का अंदाजा तुम क्या लगाओगे गालिब,
जब हम शमशान से गुजरते हैं तो मुर्दे भी उठकर पूछ लेते हैं
वकील साहब, नमस्ते
हमारा केस निपट गया है या अभी चल रहा हैं।
काश मैं भी एक वकील होता,
तो इश्क़ की अदालत में टूटे दिल की पैरवी तो करता।
इश्क़ की हम भी वकालत करते थे,
जब से उन्हें देखा तब से कटघरे में खड़ा हूँ।
जिंदगी नही बदलती किसी की झूठी दलील से,
जिसकी हिफ़ाजत खुदा करे, उसे डर क्या वकील से।
ऐ इश्क़…तेरा वकील बनकर बुरा किया मैंने,
शहर का हर शायर तेरे खिलाफ सुबूत लिए बैठा।
पढ रहा हूँ मै इश्क की किताब,
अगर बन गया वकील तो बेवफा-ओ की खैर नही।
है कोई वकील इस जहान में,
जो हारा हुआ इश्क जीता दे मुझको।
उठानी हैं तो आवाज़ उठाईये तलवार नहीं,
अरे आप वकील हैं साहब बदमाश नहीं।
मैं अपनी वफ़ा की दलीले देता रहा,
उस मोहब्बत के वकील ने मेरी एक ना सुनी।
कबिरा इस संसार में सबसे सुखी वकील,
जीत गये तो फ़ीस मिले हार गये तो अपील।
खुदा महफूज रखे आपको इन तीन बलाओं से,
वकीलों से, हकीमों से और हसीनों की निगाहों से।
बनने दे हमें एक दफा महोब्बत का वकील,
फिर देख तेरे जाली इश्क की खेर नही।
सबूत हजार थे तुझे मुजरिम करार करने के,
पर ये दिल तो तेरा वफादार वकील निकला।
मुकदमा हम पे मोहोब्बत का चला दो,
शर्त ये है कि वकील हमारा सरकारी हो।
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