तेरी आवाज पर शायरी | Aawaz Par Shayri
तेरी आवाज पर शायरी | Aawaz Par Shayri :-
बिना आवाज किए रोना…
रोने से ज्यादा दर्द देता है।
याद आएगी हर रोज मगर तुझे आवाज न दूँगा,
तेरे लिए हर गजल हर शायरी लिखुंगा मगर तेरा नाम न लूँगा।
कुछ जलते है तेरी खूबियों पर
कुछ तेरी खामियों पर भी नाज करते है,
अरे लोगों की छोड़ो
खाली लिफाफें हमेशा आवाज करते हैं।
सिक्के हमेशा आवाज करते हैं पर नोट खामोश रहते हैं इसलिए जब आपकी कीमत बढे तो शांत रहिये क्योंकि हैसियत का शोर मचाने का ज़िम्मा आपसे कम कीमत वालों का है।
लय में डूबी हुई मस्ती भरी आवाज़ के साथ
छेड़ दे कोई ग़ज़ल इक नए अंदाज़ के साथ।
दोस्ती का हर फ़र्ज निभायेंगे जरूर,
आवाज दिल से दोगें तो आयेंगे जरूर।
रात आती है तेरी याद चली आती हैं,
किस शहर से तेरी आवाज चली आती हैं।
करूँगा बात उससे उस दिन मगर रोऊंगा नहीं,
क्योंकि इतनी औकात कहा उसकी आवाजों में जो मुझे रूला सके।
शरमा के मत छुपा चेहरे को पर्दे में,
हम चेहरे के नहीं तेरे आवाज के दिवाने हैं।
हर आह में दबी हुई आवाज ढुढ लेता हैं,
हर शायर, शायरी का आगाज ढुँढ लेता हैं।
काश मेरा घर तेरे घर के सामने होता,
तू ना आती तो क्या तेरी आवाज़ तो आती
पलट के देख लेना जब दिल की आवाज सुनाई दे,
तेरे दिल के अहसास में शायद मेरा चेहरा दिखाई दे
बैठती वहीं हूँ जहाँ अपनेपन का अहसास है मुझको,
यूं तो जिन्दगी में कितने ही लोग आवाज देते हैं मुझको
चलो अब आवाज दी जाये नींद को,
कुछ थके थके से लग रहे हैं ख्वाब मेरे
यूँ तो एक आवाज दूँ और बुला लूँ तुम्हें मगर,
कोशिश ये है कि खामोशी को भी आजमा लूँ जरा..
ये भी एजाज़ मुझे इश्क़ ने बख़्शा था कभी
उस की आवाज़ से मैं दीप जला सकता था
मेरी आवाज़ तुझे छू ले बस इतनी मोहलत
तेरे कूचे से गुज़र जाऊँगा साधू की तरह..
सुकून मिलता है दो लफ्ज़ काग़ज़ पर उतार कर,
कह भी देता हूँ और आवाज़ भी नहीं आती..
छुप गए वो साज़-ए-हस्ती छेड़ कर
अब तो बस आवाज़ ही आवाज़ है..
बस तू मेरी आवाज़ से आवाज़ मिला दे
फिर देख कि इस शहर में क्या हो नहीं सकता..
दिल की आवाज़ से नग़में बदल जाते हैं,
साथ ना दें तो अपने बदल जाते हैं..
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