बलिया स्थापना दिवस पर शायरी, स्टेटस, कोट्स, मैसेज, फोटो, वाॅलपेपर, स्लोगन, सुविचार, कविता, हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई संदेश हिन्दी में | बलिया बलिदान दिवस महोत्सव पर शायरी | Ballia Sthapna Diwas Shayari, Status, Quotes, Wishes, Memes, Slogans, Suvichar, Instagram Captions, Wallpaper, Photos, Images, SMS, Poetry & Thoughts In Hindi For Facebook & Whatsapp
बलिया स्थापना दिवस पर शायरी, स्टेटस, कोट्स, मैसेज, फोटो, वाॅलपेपर, स्लोगन, सुविचार, कविता, हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई संदेश हिन्दी में | बलिया बलिदान दिवस महोत्सव पर शायरी | Ballia Sthapna Diwas Shayari, Status, Quotes, Wishes, Memes, Slogans, Suvichar, Instagram Captions, Wallpaper, Photos, Images, SMS, Poetry & Thoughts In Hindi For Facebook & Whatsapp :-
बलिया जिला भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ मंडल के अन्तर्गत आता है, बलिया जिला उत्तर प्रदेश का सबसे पूर्वी जिला है, जिसका मुख्यालय बलिया शहर है। बलिया जिले की उत्तरी और दक्षिणी सीमा क्रमशः सरयू और गंगा नदियों द्वारा बनाई जाती है। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में इस जिले के निवासियों के विद्रोही तेवर के कारण इसे बागी बलिया के नाम से भी जाना जाता है। ददरी-मेला यहाँ का प्रसिद्ध मेला है जो आश्विन मास में शहर की पूर्वी सीमा पर गंगा और सरयू नदियों के संगम पर स्थित एक मैदान पर मनाया जाता है। मऊ, आजमगढ़, देवरिया, गाजीपुर और वाराणसी के रूप में पास के जिलों के साथ नियमित संपर्क में रेल और सड़क के माध्यम से मौजूद है। यह बिहार की सीमा को छूता हुआ जिला है। इनके बाद मऊ जिला शुरू हो जाता है। अगर आप बलिया से हैं तो इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ साझा अवश्य करें।
भारतीय साहित्य की दुनिया का आवाज हूँ मैं,
भारतीय लोगों के दिलों का ताज हूँ मैं।
ऐ दुश्मनो शक हैं तो आजमां के देख लो,
रणभुमि में बरसता हुआ आग हूँ मैं।🙏
महफिल में ना सही,तन्हाई में याद करोगे,
कभी तो उस खुदा से यह फरियाद करोगे।
ना मिला हैं ना मिलेगा चन्द्रशेखर जी जैसा नेता,
ऐ भारतीयो कभी तो इस बात पे नाज करोगे।।
सितारों को गिनकर दिखाना मुश्किल हैं,
किस्मत में जो लिखा हैं वो मिटाना मुश्किल हैं।
कह गए मंगल पाण्डेय जी हमसे,
आजादी में कितने मारे गए ये बताना मुश्किल हैं।
बलिया स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!!
तेज आंधी तुफान झुक कर पर्वतो को सलाम करते हैं,
दिल में लिए प्यार भरी हसरते हम भृगु मुनि को सलाम करते हैं।
भृगु मुनि के तपोस्थलि बागी बलिया की स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!!
अपनी जिन्दगी के अलग वसूल हैं,
भारत माँ के खातिर काँटे भी फुल हैं।
हँस कर झेल ले बलिया वाले दुश्मनो के गोलियों को भी,
अगर भारत माँ कहे,ये मेरे उडाये हुए फुल हैं।
कामयाबी कभी बड़ी नहीं होती,पाने वाला हमेशा बड़ा होता हैं।
चिंगारी कभी बड़ी नहीं होती,बुझाने वाला हमेशा बड़ा होता हैं।
लिखे हैं मंगल पाण्डेय इतिहास के हर पन्नों पर,
क्रांति कभी बड़ी नहीं होती,क्रांतिकारी हमेशा बड़े होते हैं।।
हर फुल कली में बलिया का मुखरा दिखाई दे,
यहां चाँद भी बलिया का टुकड़ा दिखाई दे।
छू रहा है बलिया सपनों की दुनिया को,
पुरे विश्व में भी यारो भारत का जलवा दिखाई दे।
ऐ दोस्तों तुम्हें तुम्हारी मातृभूमि पुकार रही हैं,
सदियों पुरानी दास्तां फिर सुना रही हैं।
दे रही हैं कसम तुम्हें तुम्हारी कलाईयो की राखी,
चलना हैं,दुश्मनो की घर्घर नाद तुम्हें बुला रही हैं।।
ऐ मेरे देश के दुश्मन,
जंग-ऐ-ऐलान किया हूँ।
अपनी जिन्दगी की सारी खुशियाँ,
भारत माँ के नाम किया हूँ।
बुढे-बुजूर्गो के मुख से सुनी हमने कहानी थी,
खुब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।
बलिया के आजादी सागर में लहर रहीं खुब पानी थी,
पाएँगे आजादी हम,मंगल पाण्डेय ने ठानी थी।
कैसे समझे सर्वपल्ली जैसे शिक्षक के विचारों को,
पुरा ना होने दी उन्होंने अंग्रेजो के अरमानो को।
करे व्याख्या हम कैसे नेहरू के उन ख्यालो को,
शपथ लेते हैं भगाएँगे देश के दलालों को।
महिलाओं के मातृभक्ति का सुनी सबने कहानी थी,
करेगी रोगियों की सेवा मदर टरेसा ने ठानी थी।
कहें क्या चन्र्दशेखर और भगत सिंह जैसे आजादी के परवाने को,
आज भी मरते देखा हमने,भारत पे नौजवानों को-2
- Written By Aman Singh
दर्द से फर्ज गहरा था निभाते गए,
जो सितम किया अंग्रेजो ने हम उठाते गए।
वक्त ने बदल दिया हमारा मिजाज यारो,
हम मारते गए और मराते गए।
हशीन शाम थी और मौसम सुहाना था,
सामने फिर वही लड़ाई का आशियाना था।
छलक रहा था मेरे आंखों से आँसू यारो,
करीब सीने के मेरे उनका हथियार-ऐ-पैमाना था।
बिछडकर अपनों से जो गुजरा हैं क्या कहूँ,
बड़ा उदास,बड़ा जुल्मी वो जमाना था।।
होते होंगे तुम्हारे शहर में प्यार के सौदे,
मेरे बलिया ने तो प्रेम में समर्पण सिखाया है।
हा मैं बलिया का वासी हूँ,
देश बना है जिस मिट्टी से,
उसकी हिस्सेदारी हूँ,
भृगु और दरदर मुनि के गौरव का अधिकारी हूँ,
हा मैं बलिया का वासी हूँ,
वीर लोरिक,चित्तू और मंगल पांडेय की थाती हूँ,
जब लड़ू तो सब पर भारी हूँ,
काशी,अमरकांत और हजारी के कलमो का आभारी हूँ,
हा मैं बलिया का वासी हूँ।
पहला स्वतंत्रता सेनानी देश का वीर पुत्र बना आजादी की लड़ाई में हिन्दुस्तान का नायक रुप बना जन्म भूमि की रक्षा ख़ातिर जिसने खुद को क़ुर्बान किया पूरा अपना अरमान कर जिसनें भारत का सम्मान किया, ऐसे मंगल पाण्डेय जी कि जन्मभुमि बलिया कि स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सन 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में अपने जीवन की आहुति देने वाले शहीद मंगल पांडेय जी कि जन्मभुमि बलिया कि स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई।
बलिया के मंगल पाण्डेय जी की वीरता पर प्रसिद्ध लेखक नारायण सिंह की मशहूर भोजपुरी कविता- बीरन के बीर पुकार भइलि...
जब सन्ताबनि के रारि भइलि, बीरन के बीर पुकार भइलि।
बलिया का ‘मंगल पांडे के, बलिबेदी से ललकार भइलि ॥1॥
‘मंगल‘मस्ती में चूर चलल, पहिला बागी मसहूर चलल।
गोरन का पलटनि का आगे, बलिया के बाँका शूर चलल ॥2॥
गोली के तुरत निसान भइल, जननी के भेंट परान भइल।
आजादी का बलिवेदी पर, ‘मंगल पांडे‘ बलिदान भइल ॥3॥
जब चिता-राख चिनगारी से, धुधुकत तनिकी अंगारी से।
सोला निकलल, धधकल, फइलल, बलिया का क्रान्ति पुजारी से ॥4॥
घर-घर में ऐसन आगि लगलि, भारत के सूतल भागि जगलि।
अंगरेजन के पलटनि सारी, बैरक से भागि चललि ॥5॥
बिगड़लि बागी पलटनि काली, जब चललि ठोंकि आगे ताली।
मचि गइल रारि, पडि़ गइलि स्याह, गोरन के गालन के लाली ॥6॥
भोजपुर के तप्पा जाग चलल, मस्ती में गावत राग चलल।
बांका सेनानी कुँवर सिंह, आगे फहरावत पाग चलल ॥7॥
टोली चढ़ि चलल जवानन के, मद में मातल मरदानन के।
भरि गइल बहादुर बागिन से, कोना-कोना मयदानन के ॥8॥
ऐसन सेना सैलानी ले, दीवानी मस्त तूफानी ले।
आइल रन में रिपु का आगे, जब कुँवर सिंह सेनानी ले ॥9॥
खच-खच खंजर तरुवारि चललि, संगीन, कृपान, कटारि चललि।
बर्छी, बर्छा का बरखा से, बहि तुरत लहू के धारि चललि ॥10॥
बन्दूक दगलि दन-दनन्दनन्, गोली दउरलि सन्-सनन् सनन्।
भाला, बल्लम, तेगा, तब्बर बजि उठल उहाँ खन्-खनन् खनन् ॥11॥
खउलल तब खून किसानन के जागल जब जोश जवानन के।
छक्का छूटल अंगरेजनि के, गोरे-गोरे कपतानन के ॥12॥
बागी सेना ललकार चललि, पटना-दिल्ली ले झारि चललि।
आगे जे आइल राह रोक, रन में उनके संहारि चललि ॥13॥
बैरी के धीरज छूटि गइल, जन्नु घड़ा पाप के फूटि गइल।
रन से सब सेना भागि चललि, हर ओर मोरचा टूटि गइल ॥14॥
तनिकी-सा दूर किनार रहल, भारत के बेड़ा पार रहल।
लउकत खूनी दरिआव पर, मंजलि के छोर हमार रहल ॥15।।
बागी बलिया पर प्रसिद्ध लेखक अमन सिंह की मशहूर भोजपुरी कविता :-
Coming Soon....
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