आग पर शेर - शायरी, स्टेटस, कोट्स, मैसेज एवं कविता हिन्दी में | Best Aag Shayari, Status, Quotes, SMS, Instagram Captions, Poetry & Thoughts For Facebook & Whatsapp In Hindi
आग पर शेर - शायरी, स्टेटस, कोट्स, मैसेज एवं कविता हिन्दी में | Best Aag Shayari, Status, Quotes, SMS, Instagram Captions, Poetry & Thoughts For Facebook & Whatsapp In Hindi :-
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मेरा दिल मोम सा,
उसके इरादे आग से।
आतिश-ज़नो से कहो आग लगा आयें किसी महल में,
सुना है ग़रीब की झोंपड़ी में आज ठंड बहुत है।
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में,
तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में।
आंसू पोंछ के हंस देता है,
आग में आग लगाने वाला।
दिल जलने पर शायरी :-
धुआँ आपके घर तक भी आएगा,
अगर आपके पड़ोस में आग लगेगी।
होते जो करीब तो मैं राख हो जाता,
अच्छा हुआ जो आग से फासला ही रहा।
वो जो आग बने फिरते थे,
उन्हें भी खाक होते देखा हैं मैंने।
समझ के आग लगाना हमारे घर में तुम,
हमारे घर के बराबर तुम्हारा भी घर है।
बदले की आग शायरी :-
ना करो किसी से नफ़रत, नफ़रत आग लगा देती है,
प्यार की एक बूँद बड़ी से बड़ी आग बुझा देती है।
मंजर ही हादसे का अजीबो गरीब था,
वो आग से जल गया जो नदी के करीब था।
आग का क्या है पल दो पल में लगती है,
बुझते बुझते एक जमाना लगता है।
कुछ लोग है जो हमको आग समझते है,
और हम है कि जुगनुओं को भी चराग समझते हैं।
राख पर शायरी :-
किसी ने दगा किया किसी ने दाग दिए,
जल रही है वो सीने में आग लिए।
दिल जला है तो फिर आँखों में पानी क्यों हैं,
राख में उड़ती हुई तेरी मेरी कहानी क्यों हैं।
इक आग इस दिल की थी,
इक आग उस श्मशान की,
वहां कोई मरकर जल रहा था,
यहाँ कोई जलकर मर रहा है।
धुएं पर शायरी :-
न धुँआ उठा न आग लगी,
और वो जल गये मेरे जीने के अंदाज से।
इन अँधेरी गलियों में जलते चिराग नहीं,
आग से कभी बुझती आग नहीं।
आज खुद को आग लगा दी है,
देखूँ तो जरा कौन पानी कौन घी है।
चूमकर तुम्हारे लबों को पता चला,
आग और पानी का साथ कैसा होता हैं।
आग बुझाने वाली शायरी :-
राख को भी कुछ कम मत समझना जनाब,
अगर अंदर छिपे अंगारे सुलग गयें तो शोले बनकर भड़कते हैं।
आग लगाने वालों को कहाँ खबर है,
रूख हवाओं ने बदला तो ख़ाक वो भी होंगे।
माचिस तो यूँ ही बदनाम है हुजूर,
हमारे तेवर तो आज भी आग लगाते हैं।
आग लगाना मेरी फितरत में नहीं :-
आग लगाना मेरी फितरत में नहीं है,
मेरी सादगी से लोग जले तो मेरा क्या कसूर।
बदले की आग शायरी :-
हमारी अफ़वाह के धुंए वहीं से उठते हैं,
जहाँ हमारे नाम से आग लग जाता हैं।
लगा के आग दिल में चले हो कहाँ हमदम,
अभी तो राख उड़ने पे तमाशा और भी होगा।
आग सूरज में होती है जलना जमीन को पड़ता है,
मोहब्बत निगाहें करती है तड़पना दिल को पड़ता है।
ठीक नहीं यूँ छोड़ा जाए किसी को उम्र भर जलने के लिए,
आग बुझाने का भी हुनर सीखो आग लगाने वालों।
लगाई तो थी आग उसकी तस्वीर में रात को,
सुबह देखा तो मेरा दिल छालों से भरा पड़ा था।
उसके सादगी से लोग जलते थे खुद-ब-खुद,
उसने कहा आगे बढ़ कभी आग लगाई थी।
चलो आज फिर थोडा मुस्कुराया जाये,
बिना माचिस के कुछ लोगो को जलाया जाये।
आग लगी जब दिल में तो उसने पुछा बचा क्या हैं,
हमने कहा कि हम, तो उसने कहा कि फिर जला क्या हैं।
आखिर क्यों बनाया मुझे ए बनाने वाले,
बहुत दर्द देते हैं ये जमाने वाले,
मैंने आग के उजाले में कुछ चेहरे देखे,
मेरे अपने ही थे मेरे घर को जलाने वाले।
लकड़ी के मकानों में चिरागों को न रखिये,
अपने भी यहाँ आग बुझाने नहीं आते।
ये कह कर मेरे दुश्मन मुझे छोड़ गए,
कि तेरे अपने ही काफी हैं तुझे जलाने के लिए।
आग पर कविता हिन्दी में :-
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
- दुष्यंत कुमार जी
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