शहीद दिवस पर शायरी, स्टेटस, कोट्स, नारे, कविता एवं हार्दिक शुभकामनाएँ संदेश | शहादत पर शायरी | वीर सैनिक पर शायरी | शत शत नमन शायरी | गर्व शायरी इन हिन्दी | शहीद जवानों को श्रद्धांजलि शायरी, स्टेटस, कोट्स इन हिन्दी | Sahid Diwas Shayari, Status, Quotes, Wishes, Poetry & Thoughts
शहीद दिवस पर शायरी, स्टेटस, कोट्स, नारे, कविता एवं हार्दिक शुभकामनाएँ संदेश | शहादत पर शायरी | वीर सैनिक पर शायरी | शत शत नमन शायरी | गर्व शायरी इन हिन्दी | शहीद जवानों को श्रद्धांजलि शायरी, स्टेटस, कोट्स इन हिन्दी | Sahid Diwas Shayari, Status, Quotes, Wishes, Poetry & Thoughts :-
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फिर उड़ गई नींद मेरी यह सोचकर,
कि जो शहीदों का बहा वो खून मेरी नींद के लिए था।
मैं जला हुआ राख नहीं, अमर दीप हूँ।
जो मिट गया वतन पर, मैं वो शहीद हूँ।।
जशन आज़ादी का मुबारक हो देश वालो को,
फंदे से मोहब्बत थी हम वतन के मतवालो को।
वतन की सर बुलंदी में हमारा नाम हो शामिल,
गुजरते रहना है हमको सदा ऐसे मुकामो से।
न इंतिज़ार करो इनका ऐ अज़ा-दारो,
शहीद जाते हैं जन्नत को घर नहीं आते।
शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मरने वालों का यही बाक़ी निशाँ होगा।
मेरे जज्बातों से इस कदर वाकिफ हैं मेरी कलम
मैं इश्क भी लिखना चाहूँ तो भी इंकलाब लिख जाता हैं।
किसी गजरे की खुशबू को महकता छोड़ आया हूँ,
मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकना छोड़ आया हूँ,
मुझे छाती से अपनी लगा लेना भारत माँ,
मै अपनी माँ की बाहो को तरसता छोड़ आया हूँ।
हाथ जोड़कर नमन जो करते,
मत समझो कि हम कमजोर हैं,
उठाओ कथायें देखो इतिहास,
छाये हुए हम हर ओर हैं।
वो माँ आधा शरीर कैसे ले साहब जब,
आप आधा इंच कम होने पर सेना मैं नही लेते हो।
जब तुम शहीद हुए थे तो ना जाने कैसे तुम्हारी माँ सोई होगी,
एक बात तो तय है तुम्हे लगने वाली गोली भी सौ बार रोई होगी।
सैंकड़ों परिंदे आसमान पर आज नजर आने लगे,
बलिदानियों ने दिखाई है राह उन्हें आजादी से उड़ने की।
लिबास बेशक मेरा ये सफेद साड़ी है,
मगर रूह अब मेरी तिरंगा हो गई।
भारत में ही महफूज़ था वो,
भारत में ही कहीं खो गया।
ऐसी भारत मां के बेटे मान गंवाना क्या जाने,
मेरे देश के लाल हठीले शीश झुकाना क्या जाने।
जल्दी वापस घर आ जाओ याद बहुत ही आती है,
कहाँ गए हो लाल मेरे तुम माँ आवाज लगाती है।
लगाकर जान की बाजी हमें महफूज रखते हैं,
उनकी राख से हिन्दुस्तान के चमन खिलते हैं।
मेरे जज्बातों से इस कदर वाकिफ हैं मेरी कलम,
मैं इश्क भी लिखना चाहूँ तो भी, इंकलाब लिख जाता हैं।
उन पर भी कोई राखी बांध दो,
जो कलाइयां देश की हिफाज़त करते-करते कंकाल हो गयी है।
अब तक जिसका खून न खौला, खून नहीं वो पानी है,
जो देश के काम ना आये, वो बेकार जवानी है।
अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं,
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं।
हम ख़ून की किस्तें तो कई दे चुके हैं लेकिन,
ऐ ख़ाक-ए-वतन क़र्ज अदा क्यों नहीं होता।
हर तूफान को मोड़ दे दो, जो हिंदुस्तान से टकराएगा।
चाहे तेरा सीना हो छली मगर, तिरंगा ऊँचा ही लहराएगा।।
विकसित होता राष्ट्र हमारा, रंग लाती हर कुर्बानी है।
फक्र से अपना परिचय देते, हम सारे हिन्दोस्तानी है।।
स्वतंत्रता दिवस शायरी
देशभक्ति शायरी
अजनबी राॅयल की देशभक्ति शायरी
गणतंत्र दिवस शायरी
फिर उड़ गई नींद मेरी यह सोचकर,
कि जो शहीदों का बहा वो खून मेरी नींद के लिए था।
मैं जला हुआ राख नहीं, अमर दीप हूँ।
जो मिट गया वतन पर, मैं वो शहीद हूँ।।
जशन आज़ादी का मुबारक हो देश वालो को,
फंदे से मोहब्बत थी हम वतन के मतवालो को।
वतन की सर बुलंदी में हमारा नाम हो शामिल,
गुजरते रहना है हमको सदा ऐसे मुकामो से।
न इंतिज़ार करो इनका ऐ अज़ा-दारो,
शहीद जाते हैं जन्नत को घर नहीं आते।
शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मरने वालों का यही बाक़ी निशाँ होगा।
मेरे जज्बातों से इस कदर वाकिफ हैं मेरी कलम
मैं इश्क भी लिखना चाहूँ तो भी इंकलाब लिख जाता हैं।
किसी गजरे की खुशबू को महकता छोड़ आया हूँ,
मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकना छोड़ आया हूँ,
मुझे छाती से अपनी लगा लेना भारत माँ,
मै अपनी माँ की बाहो को तरसता छोड़ आया हूँ।
हाथ जोड़कर नमन जो करते,
मत समझो कि हम कमजोर हैं,
उठाओ कथायें देखो इतिहास,
छाये हुए हम हर ओर हैं।
वो माँ आधा शरीर कैसे ले साहब जब,
आप आधा इंच कम होने पर सेना मैं नही लेते हो।
जब तुम शहीद हुए थे तो ना जाने कैसे तुम्हारी माँ सोई होगी,
एक बात तो तय है तुम्हे लगने वाली गोली भी सौ बार रोई होगी।
सैंकड़ों परिंदे आसमान पर आज नजर आने लगे,
बलिदानियों ने दिखाई है राह उन्हें आजादी से उड़ने की।
लिबास बेशक मेरा ये सफेद साड़ी है,
मगर रूह अब मेरी तिरंगा हो गई।
भारत में ही महफूज़ था वो,
भारत में ही कहीं खो गया।
ऐसी भारत मां के बेटे मान गंवाना क्या जाने,
मेरे देश के लाल हठीले शीश झुकाना क्या जाने।
जल्दी वापस घर आ जाओ याद बहुत ही आती है,
कहाँ गए हो लाल मेरे तुम माँ आवाज लगाती है।
लगाकर जान की बाजी हमें महफूज रखते हैं,
उनकी राख से हिन्दुस्तान के चमन खिलते हैं।
मेरे जज्बातों से इस कदर वाकिफ हैं मेरी कलम,
मैं इश्क भी लिखना चाहूँ तो भी, इंकलाब लिख जाता हैं।
उन पर भी कोई राखी बांध दो,
जो कलाइयां देश की हिफाज़त करते-करते कंकाल हो गयी है।
अब तक जिसका खून न खौला, खून नहीं वो पानी है,
जो देश के काम ना आये, वो बेकार जवानी है।
अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं,
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं।
हम ख़ून की किस्तें तो कई दे चुके हैं लेकिन,
ऐ ख़ाक-ए-वतन क़र्ज अदा क्यों नहीं होता।
हर तूफान को मोड़ दे दो, जो हिंदुस्तान से टकराएगा।
चाहे तेरा सीना हो छली मगर, तिरंगा ऊँचा ही लहराएगा।।
विकसित होता राष्ट्र हमारा, रंग लाती हर कुर्बानी है।
फक्र से अपना परिचय देते, हम सारे हिन्दोस्तानी है।।
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