Ajnabi Shayri Status In Hindi | अजनबी शायरो की अजनबी हिन्दी शायरी, स्टेटस, कोट्स इन हिन्दी
Ajnabi Shayri Status In Hindi | अजनबी शायरो की अजनबी हिन्दी शायरी, स्टेटस, कोट्स इन हिन्दी :-
Hindi Ajnabi Shayri Status for Whatsapp is gievn below.In the Given below collection contain a True basic status in Hindi.
उम्र भर चाहा के ज़मीन -ओ-आसमान हमारा होता
काश कहीं तो ख्वाहिशों का भी कोई किनारा होता
यह सोच के उस मुसाफिर को रोका ही नहीं
दूर जाता ही क्यों अगर वो हमारा होता
इस अजनबी दुनिया में अकेली ख्वाब हूँ मैं,
सवालो से खफा छोटी सी जवाब हूँ मैं,
आँख से देखोगे तो खुश पाओगे,
दिल से पूछोगे तो दर्द की सैलाब हूँ मैं।
अजनबी तो हम जमाने के लिए हैं… आपसे तो हम शायरियों में मुलाकात कर लेते हैं…
अजनबी तो हम तब भी नही थे,
जब हम अजनबी थे।
हाल पुछने कल फोन किया तो रिंग बजते ही काट दिया,
अजनबी बनकर आज संदेश भेजा तो फिर घण्टो बात किया।
अफसोस! अपने सारे रिश्तों से अजनबी हो गये।
एक अजनबी से रिश्तों को अपना बनाने की खातिर।।
इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है,
लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर।
सदियों बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई,
आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई।
मंजिल का नाराज होना भी जायज था,
हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे थे।
उसकी हर एक शिकायत देती है मुहब्बत की गवाही,
अजनबी से वर्ना कौन हर बात पर तकरार करता है।
जिंदगी अजनबी मोड़ पर ले आई है,
तुम चुप हो मुझ से और मैँ चुप हूँ सबसे।
तेरा नाम था आज किसी अजनबी की ज़ुबान पे,
बात तो ज़रा सी थी पर दिल ने बुरा मान लिया।
अजनबी शहर में एक दोस्त मिला,
वक्त नाम था पर जब भी मिला मजबूर मिला।
मैं खुद भी अपने लिए अजनबी हूं,
मुझे गैर कहने वाले तेरी बात मे दम है।
इस अजनबी शहर में पत्थर कहां से आया है,
लोगों की भीड़ में कोई अपना ज़रूर हैं।
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते, मेरी तन्हाई पर मुस्कुराते रहे
मैं बहुत देर तक यूँ ही चलता रहा, तुम बहुत देर तक याद आते रहे।
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है!
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है!
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद!
फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है!
इस शहर की भीड़ में चेहरे सारे अजनबी, रहनुमा है हर कोई, पर रास्ता कोई नहीं, अपनी-अपनी किस्मतों के सभी मारे यहाँ, एक-दूजे से किसी का वास्ता कोई नहीं।
उस अजनबी से हाथ मिलाने के वास्ते,
महफ़िल में सब से हाथ मिलाना पड़ा मुझे।
अजनबी था तो मेरे जवाबों पर तुम्हे यकीन था,
कम्बख्त जान का सबब बन गयी है ये जान पहचान।
बदल लेंगे हम खुद को इतना,
की तुम भी न पहचान पाओगे हमें,
अगर कभी सोचोगे हमारे बारे में,
हमें पूरी तरह अजनबी पाओगे।
हम कुछ ना कह सके उनसे, इतने जज्बातों के बाद,
हम अजनबी थे अजनबी ही रहे, इतनी मुलाकातो के बाद।
हमसे मत पूछो यारो उनके बारे मे,
अजनबी क्या जाने अजनबी के बारे मे।
जहाँ भूली हुई यादें दामन थाम लें दिल का,
वहां से अजनबी बन कर गुज़र जाना ही अच्छा है।
हमसफ़र की तरह वो चला था मगर,
रास्ते भर रहा अजनबी अजनबी।
खुशी देने वाले अपने तो होते ही है,
पर गम देने वाले भी अजनबी नही होते।
कभी अनजान राहों पर भी मेरा नाम लिखते थे,
वो मेरे शहर में बसते हैं अब अजनबी बन कर।
काश की मिल जाए मुझे मुक़द्दर की कलम
लिख दू लम्हा लम्हा खुशी एक अजनबी की ज़िन्दगी के लिए
अजनबी बन के हँसा करती है,
ज़िंदगी किस से वफ़ा करती है,
क्या जलाऊँ मैं मोहब्बत के चराग़,
एक आँधी सी चला करती है।
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है,
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है;
उससे मिलना तो तकदीर मे लिखा भी नही,
फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है!
अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ,
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ,
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ।
वजह पुछने का तो मौका ही कहाँ मिला?
वो लहजे बदलते गये और हम अजनबी बनते गये।
दिल चाहता है कि फ़िर, अजनबी बन कर देखें,
तुम तमन्ना बन जाओ,हम उम्मीद बन कर देखें।
हम तो यूँ अपनी ज़िन्दगी से मिले,
अजनबी जैसे अजनबी से मिले,
जिस तरह आप हम से मिलते हैं,
आदमी यूँ न आदमी से मिले।
महफ़िलों में फिरता रहता हूँ अजनबी सा,
तन्हाइयों में भी तन्हाईयाँ नसीब नहीं होती।
ख़ुद को कितना भुला दिया मैं ने,
तू भी अब अजनबी सा लगता है।
कभी कभी तो किसी अजनबी के मिलने पर,
बहुत पुराना कोई सिलसिला निकलता है।
बदला न अपने-आप को जो थे वही रहे,
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे।
वो एक दिन एक अजनबी को
मेरी कहानी सुना रहा था।
ReplyDeleteबदल लेंगे हम खुद को इतना,
की तुम भी न पहचान पाओगे हमें,
अगर कभी सोचोगे हमारे बारे में,
हमें पूरी तरह अजनबी पाओगे
Nice
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