अश्क शायरी, आँसू शायरी, Aansu Shayri Status, Ashq Shayri
अश्क शायरी, आँसू शायरी, Aansu Shayri Status, Ashq Shayri :-
मेरे अश्क़ तेरी बेरुखी का एहसास हैं,
तेरी याद में ये फिर बेगाने हो चले।
जब जब तुमसे मिलने की उम्मीद नजर आई,
तब तब मेरे पैरों में ज़ंजीर नजर आई,
निकल पड़े इन आँखों से हजारों आँसू,
हर आँसू में आपकी तस्वीर नजर आई।
आँखों में कौन आ के इलाही निकल गया,
किस की तलाश में मेरे अश्क़ रवां चले।
आँखों में आँसू लेके होठों से मुस्कुराये,
हम जैसे जी रहे हैं कोई जी के तो बताये।
डूब जाते हैं उम्मीदों के सफ़ीने इस में,
मैं नहीं मानती आँसू..ज़रा सा पानी है..
कैसे हो पाये भला इंसान की पहचान ?
दोनों नकली हो गए, आँसू और मुस्कान..!!
पल फुर्सतों के ज़िंदगी से छाँट लेते हैं,
चलो ना थोडी खुशियाँ, थोडे आँसू बाँट लेते हैं…!
मेरा ग़म इतना मज़बूत था…. बहारों ने आँसू बहाएँ…. चाँद खून में नहाया….
अभी से क्यों छलक आये तुम्हारी आँख में आँसू,
अभी छेड़ी कहाँ है दास्तान-ए-ज़िंदगी मैंने।
जब लफ्ज़ थक गए तो फिर आँखों ने बात की,
जो आँखें भी थक गयीं तो अश्कों से बात हुई।
वहाँ से पानी की एक बूँद भी न निकली,
तमाम उम्र जिन आँखों को झील लिखते रहे।
तू इश्क की दूसरी निशानी दे दे मुझको,
आँसू तो रोज गिर कर सूख जाते हैं।
कौन कहता है कि आंसुओं में वज़न नहीं होता,
एक भी छलक जाए तो मन हल्का हो जाता है।
मेरे दिल में न आओ वर्ना डूब जाओगे,
गम के आँसू का समंदर है मेरे अन्दर।
जब्त-ए-गम कोई आसान काम नहीं फराज,
आग होते है वो आँसू जो पिए जाते हैं।
जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी पी के गर्म अश्क.
यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े।
कभी रो लेने दो अपने कंधे पर सिर रखकर मुझे,
की दर्द का बवंडर अब संभाला नहीं जाता,
कब तक छुपा कर रखे आँखों में इसे,
की आंसुओं का समंदर अब संभाला नहीं जाता..!!
अश्क़ से आज आँखों में क्यों हैं आये हुए,
गुजर गया है ज़माना तुझे भुलाये हुए।
तू इश्क की दूसरी निशानी दे दे मुझको,
आँसू तो रोज गिर कर सूख जाते हैं।
पलकों के बंध तोड़ के दामन पे गिर गया,
एक अश्क़ मेरे ज़ब्त की तौहीन कर गया।
राह तकते हुए जब थक गई मेरी आँखें,
फिर तुझे ढूढ़ने मेरी आँख के आँसू निकले।
मुझे मालूम है तुमने बहुत बरसात देखी है,
मगर मेरी इन्हीं आँखों से सावन हार जाता है।
प्यास इतनी है मेरी रूह की गहराई में,
अश्क़ गिरता है तो दामन को जला देता है।
कम नहीं हैं आँसू मेरी आँखों में मगर,
रोता नहीं कि उनमें उसकी तस्वीर दिखती है।
हँसने की जुस्तजू में दबाया जो दर्द को,
आँसू हमारी आँख में पत्थर के हो गए।
हजारों अश्क़ मेरी आँखों की हिरासत में थे… फिर तेरी याद आई और इन्हें जमानत मिल गई ..
इजाज़त हो तो तेरे चहेरे को देख लूँ जी भर के,मुद्दतों से इन आँखों ने कोई बेवफा नहीं देखा..
आंसू मेरे देखकर तू परेशान क्यों है ऐ दोस्त,
ये वो अल्फाज हैं जो जुबान तक आ न सके।
आँखों मे आ जाते है आँसू,
फिर भी लबों पे हँसी लानी पड़ती है,
ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो,
जिस से करते हैं उसी से छुपानी पड़ती है...
अश्क़ ही मेरे दिन हैं अश्क़ ही मेरी रातें,
अश्कों में ही घुली हैं वो बीती हुयी बातें।
उसका अक्स दिल में इस कदर बसा है,
बरसों आँसू बहे मगर तसवीर न धुली।
तुम ही तो हो जनाब जिसके गुस्ताखियाँ माफ है,
हर किसी ने तो बस आँसुओं का सिलसिला ही दिया !
यूँ ही तो नही छोड़ देता काफिला राहों में,
मुसाफिर में ही यकीनन कोई कमी होगी..
जरा गौर से देखियेगा मुस्कुराती आँखों को,
उसकी पलकों में अब भी थोड़ी नमी होगी..
आवाज़ में ठहराव था उसकी और आँखों में नमी थी...
और कह रहा था वो मैंने सब कुछ भुला दिया।।
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