2 Line Shayri, दो लाइन के शेर, Two Line Hindi Shayri on Love, Two Line Sad Shayri, दो लाइन शायरी
2 Line Shayri, दो लाइन के शेर, Two Line Hindi Shayri on Love, Two Line Sad Shayri, दो लाइन शायरी :-
2 Line Shayari, 2 Line Romantic Shayari, 2 लाइन लव शायरी, 2 Line Sad Hindi Love Quotes, Best Shayari in 2 Lines, awesome two line shayari in hindi, two line shayari collections hindi, two line quotes in hindi, two line love shayari in hindi, two line shayari, two line shayari in hindi on life, two line love shayari, two line status, awesome two line shayari in hindi, two line shayari collections hindi, two line love shayari in hindi, two line status in hindi, two line romantic shayari, two line love status, two line shayari on zindagi, two line quotes in hindi, two line status in hindi on life, two line sad status, two line heart touching shayari, heart touching two line shayari.
2 Line Shayri, दो लाइन के शेर, Two Line Hindi Shayri on Love, Two Line Sad Shayri, दो लाइन शायरी :-
गिरना था जो आपको तो सौ मक़ाम थे,
ये क्या किया कि निगाहों से गिर गए।
जिसकी कफस में आँख खुली हो मेरी तरह,
उसके लिये चमन की खिजाँ क्या बहार क्या।
दुनिया फ़रेब करके हुनरमंद हो गई,
हम ऐतबार करके गुनाहगार हो गए।
पहले ज़मीं बँटी फिर घर भी बँट गया,
इंसान अपने आप में कितना सिमट गया।
अगर बिकने पे आ जाओ तो घट जाते हैं दाम अक्सर,
न बिकने का इरादा हो तो क़ीमत और बढ़ती है।
दिल दुखाया करो इजाजत है
भूल जाने की बात मत करना
तबाह होकर भी तबाही दिखती नही,
ये इश्क़ है इसकी दवा कहीं बिकती नहीं।
वो साथ थे तो एक लफ़्ज़ ना निकला लबों से,
दूर क्या हुए… कलम ने क़हर मचा दिया।
ये जो ज़िन्दगी है ना
तेरे बिन अधूरी है
अपने ही होते है जो दिल पर वार करते है !
गैरों को क्या खबर दिल किस बात पर दुखता है !!
कम ही होते हैं जज्बातों को समझने वाले,
इसलिए शायद शायरों की बस्तियाँ नहीं होती।
जब मिलो किसी से तो ज़रा दूर का रिश्ता रखना ,
बहुत तड़पते हैं अक्सर यह सीने से लगाने वाले।
शायद इश्क अब उतर रहा है सर से,
मुझे अलफ़ाज़ नहीं मिलते शायरी के लिए..
जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने,
अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।
कद बढ़ा नहीं करते, ऐड़ियां उठाने से
ऊंचाईया तो मिलती हैं, सर झुकाने से।
नजरों में दोस्तों की जो इतना खराब है,
उसका कसूर ये है कि वो कामयाब है।
जिन जख्मो से खून नहीं निकलता समझ लेना
वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है।
आइना कोई ऐसा बना दे, ऐ खुदा जो,
इंसान का चेहरा नहीं किरदार दिखा दे।
हुआ सवेरा तो हम उनके नाम तक भूल गए
जो बुझ गए रात में चरागों की लौ बढ़ाते हुए।
इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं,
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद।
दिल से दिल मिले या न मिले हाथ मिलाओ,
हमको ये सलीका भी बड़ी देर से आया।
बहुत से लोग थे मेहमान मेरे घर लेकिन,
वो जानता था कि है एहतमाम किसके लिए।
मिलने को तो हर शख्स एहतराम से मिला,
पर जो मिला किसी न किसी काम से मिला।
सुकून मिलता है दो लफ्ज़ कागज पे उतार कर,
कह भी देता हूँ और आवाज भी नहीं होती।
दो शब्द तसल्ली के नहीं मिलते इस शहर में,
लोग दिल में भी दिमाग लिए फिरते हैं।
रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी,
देखना ये है चरागों का सफ़र कितना है।
आप की खा़तिर अगर हम लूट भी लें आसमाँ,
क्या मिलेगा चंद चमकीले से शीशे तोड़ के।
लकड़ी के मकानों में चरागों को न रखिये,
अपने भी यहाँ आग बुझाने नहीं आते।
पांवों के लड़खड़ाने पे तो सबकी है नज़र,
सर पे कितना बोझ है कोई देखता नहीं।
यहाँ लिबास की कीमत है आदमी की नहीं,
मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे।
सितम ये है कि हमारी सफों में शामिल हैं,
चराग बुझते ही खेमा बदलने वाले लोग।
शायद कोई तराश कर मेरी किस्मत संवार दे,
यह सोच कर हम उम्र भर पत्थर बने रहे।
वही ज़मीन है वही आसमान वही हम तुम,
सवाल यह है ज़माना बदल गया कैसे।
आपके ज़िक्र के बिना कैसे अपनी पूरी कहानी लिखूँ
बताइये आपको वफ़ा लिखूँ या अपनी जिन्दगानी लिखू
क्या हो जायेगा तेरे रोने या न रोने से ऐ दिल
जब उसे कोई फर्क ही नही पड़ता तेरे होने या न होने से
कौन कहता है ,मुर्दे जिया नही करते
मैंने आशिकों की बस्ती में लाशों को चलते देखा है
तेरी बात ख़ामोशी से मान लेना
यह भी अन्दाज़ है मेरी नाराज़गी का
कितनी शिद्दत से मैंने चाहा था उसको
कोई अपना दुश्मन भी होता तो निभाता उम्र भर
दर्द लेकर उफ़ भी ना करे ये दस्तूर है
चल ए ईश्क़ हमे तेरी ये शर्त भी मंजूर है
तेरे इंतज़ार में मेरा बिख़रना इश्क है
और तेरी मुलाक़ात पे निख़रना इश्क है
मुझे छोड़ दे मेरे हाल पर तेरा क्या भरोसा है चारा-गर
ये तेरी नवाज़िश-ए-मुख़्तसर मिरा दर्द और बढ़ा न दे
जब करवट बदलते हुए तुम्हारी याद आती है
उस वक्त मोहब्बत हमे खूब तड़पाती है
मुड़े मुड़े से है किताब ए इश्क़ के पन्ने
ये कौन है जो हमे हमारे बाद पढता है
जो आपके एहसासों को ना समझे
उनके लिए अल्फाजों के मोती बिखेरना व्यर्थ है
कब तक तुम्हारी जुदाई के सदमे उठाऊ मैं
ऐसा सुलूक करो तुम की ये दुनिया छोड़ जाऊ मैं
बहुत बेचैन हो रहा हु मैं अब तुझे भुलाने में
गैरों से पता चला कोई कसर न कि तुमने मुझे रुलाने में
कभी तकदीर का मातम कभी दुनिया का गिला....
मंजिल-ऐ-इश्क में हर गम पे रोना आया ....
कहीं ऐसा न हो मैं तुझको शर्मसार कर बैठूँ
तू कुछ सवाल रहने दे मैं कुछ जवाब रहने दूँ
आग लगाने वालो को कहाँ इसकी खबर हैं,
रुख हवाओ का बदला तो खाक वो भी होंगे
दिल की तमन्ना इतनी है कुछ ऐसा मेरा नसीब हो
मैं जहाँ जिस हाल में रहुँ बस तू ही तू मेरे करीब हो
हवाओं की भी अपनी अजब सियासतें हैं
कहीं बुझी राख भड़का दे कहीं जलते चिराग बुझा दे
क्या हुआ,जो हम लिपट गए तुझसे
तुम्हें इज़ाज़त है बदला तुम भी ले लो
किस हक़ से मांगू अपने हिस्से का वक्त तुमसे
क्यूंकि ना ये मेरा है और ना ही तुम मेरे हो
एहसासों की नमी बेहद ज़रूरी है हर रिश्ते में
रेत भी सूखी हो तो हाथों से फिसल जाती है
हम ने रोती हुई आँखों को हँसाया है सदा,
इस से बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे।
कौन कैसा है ये ही फ़िक्र रही तमाम उम्र,
हम कैसे हैं ये कभी भूल कर भी नही सोचा।
सीख नहीं पा रहा हूँ मीठे झूठ बोलने का हुनर,
कड़वे सच से हमसे न जाने कितने लोग रूठ गये।
यहाँ सब खामोश हैं कोई आवाज़ नहीं करता,
सच बोलकर कोई, किसी को नाराज़ नहीं करता।
जो करीब थे वो जाने कब दूर हो गये_
और ! जो दूर थे वो जाने कब करीब हो गये..
इतना कहाँ मशरूफ हो गए हो तुम,
आजकल दिल दुखाने भी नहीं आते।
मेरी आवाज़ ही परदा है मेरे चेहरे का,
मैं हूँ ख़ामोश जहाँ, मुझको वहाँ से सुनिए।
तेरी मोहब्बत को कभी खेल नही समझा,
वरना खेल तो इतने खेले है कि कभी हारे नही।
आजकल देखभाल कर होते हैं प्यार के सौदे,
वो दौर और थे जब प्यार अन्धा होता था।
उसने हर नशा सामने लाकर रख दिया और कहा,
सबसे बुरी लत कौन सी हैं, मैने कहा तेरे प्यार की।
मेरे इरादे मेरी तक़दीर बदलने को काफी हैं,
मेरी किस्मत मेरी लकीरों की मोहताज़ नहीं।
अपनी हार पर इतना शकून था मुझे,
जब उसने गले लगाया जीतने के बाद।
Comments
Post a Comment