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जो सूरुर है तेरी आँखों में वो बात कहां मैखाने में,
बस तू मिल जाए तो फिर क्या रखा है ज़माने में।
वो बोलते रहे… हम सुनते रहे…
जवाब आँखों में था वो जुबान में ढूंढते रहे।
मुस्कुरा के देखा तो कलेजे में चुभ गयी,
खँजर से भी तेज़ लगती हैं आँखें जनाब की।
फरियाद कर रही हैं तरसती हुई निगाहें,
देखे हुए किसी को… बहुत दिन गुज़र गए।
मेरी निगाह-इ-शौक़ भी कुछ कम नहीं मगर,
फिर भी तेरा शबाब तेरा ही शबाब है।
निगाहे बोलती हैं जब जुबा खामोश रहती है,
दिलों की धड़कने ही तब दिलों की बात कहती हैं।
खुलते हैं मुझ पे राज कई इस जहान के,
उसकी हसीन आँखों में जब झाँकता हूँ मैं।
जाती है इस झील की गहराई कहाँ तक,
आँखों में तेरी डूब के देखेंगे किसी रोज।
निगाहों से कत्ल कर दे न हो तकलीफ दोनों को,
तुझे खंजर उठाने की मुझे गर्दन झुकाने की।
तेरी आँखों की तौहीन नहीं तो और क्या है यह,
मैंने देखा तेरे चाहने वाले कल शराब पी रहे थे।
बिना पूछे ही सुलझ जाती हैं सवालों की गुत्थियाँ,
कुछ आँखें इतनी हाज़िर-जवाब होती हैं।
जब भी देखूं तो नज़रें चुरा लेती है वो,
मैंने कागज़ पर भी बना के देखी हैं आँखें उसकी।
कभी बैठा के सामने पूछेंगे तेरी आँखों से,
किसने सिखाया है इन्हें हर दिल में उतर जाना।
रात बड़ी मुश्किल से खुद को सुलाया है मैंने,
अपनी आँखों को तेरे ख्वाब का लालच देकर।
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुजरता है गुजर जाएगा।
मुझ से कहती थी वो शराबी आँखे,
आप वो जहर मत पिया कीजिये।
नकाब तो उनका सिर से लेकर पाँव तक था,
मगर आँखें बता रही थी कि मोहब्बत की शौकीन वो भी थी।
हम नही आते इस डर से तेरी चौखट पर मेरे हमदम,
सुना है तेरी जादू भरी आँखों का टोना बडा मशहूर है।
किसी ने धूल क्या झोंकी आखों में,
पहले से बेहतर दिखने लगा हमें।
क़ैद ख़ाने हैं, बिन सलाख़ों के,
कुछ यूँ चर्चे हैं, तुम्हारी आँखों के।
आँखों पर तेरी निगाहों ने दस्तख़त क्या दिए,
हमने साँसों की वसीयत तुम्हारे नाम कर दी।
खुदा जाने मेरे किया वजन है उनकी निगाहों में
सुना है आदमी को एक नजर में तोल लेते हैं।
कुछ तुम्हारी निगाह काफिर थी,
कुछ मुझे भी खराब होना था।
नज़र तुम्हारी कभी जो उठे, हमारी तरफ,
नज़र अन्दाज़ ही कर लेना, हमें जी भर कर।
आ गया है फर्क तुम्हारी नज़रों में यकीनन,
अब एक खास अंदाज़ से नज़रअंदाज़ करते हो।
यूँ ही गुजर जाती है शाम अंजुमन में
कुछ तेरी आँखों के बहाने कुछ तेरी बातो के बहाने
वो कहने लगी, नकाब में भी पहचान लेते हो हजारों के बीच ?
मैंने मुस्करा के कहा, तेरी आँखों से ही शुरू हुआ था इश्क हज़ारों के बीच..
झील अच्छा, कँवल अच्छा के जाम अच्छा है,
तेरी आँखों के लिए कौन सा नाम अच्छा है।
ये आईने नही दे सकते तुम्हे तुम्हारी खूबसूरती की सच्ची ख़बर,
कभी मेरी इन आँखों में झांक कर देखो की कितनी हसीन हो तुम।
मुझसे जब भी मिलो नजरें उठाकर मिलो,
मुझे पसंद है अपनेआप को तुम्हारी आँखों में देखना।
क्या कशिश थी तुम्हारी आँखों मे,
तुझको देखा और तेरा हो गया।
अब तो उसे से मिलना और भी ज़रूरी हो गया है,
सुना है उसकी आँखों मैं मेरा अक्स नज़र आता है।
बहुत अंदर तक तबाही मचाता है,
वो आँसू जो आँखों से बह नहीं पता है।
जब बिखरेगा तेरी गालों पे तेरी आँखों का पानी,
तब तुझे एहसास होगा की मोहब्बत किसे कहते है।
पानी में तैरना सीख ले मेरे दोस्त,
आँखों में डूबने वालों का अंजाम बुरा होता है।
सौ सौ उम्मीदें बंधती है, इक-इक निगाह पर,
मुझको न ऐसे प्यार से देखा करे कोई।
हुक्म तेरा है तामील किये देते हैं,
आँख अभी झील किये देते हैं,
तू वस्ल की बात पे बिगड़ता क्यों है,
रास्ता ही तो है, तबदील किये देते हैं।
अगर है गहराई तो चल डुबा दे मुझ को,
समंदर नाकाम रहा अब तेरी आँखो की बारी है।
मुझे मालूम है तुमने बहुत बरसातें देखी है,
मगर मेरी इन्हीं आँखों से सावन हार जाता है।
देखकर काजल की लकीरें उनकी आँखों में,
पहली दफ़ा ये जाना कि ये चाँद की ख़ूबसूरती रात से क्यूं है।
आज भी प्यारी हैं मुझे तेरी हर निशानी,
फिर चाहे वो दिल का दर्द हो या आँखों का पानी।
आँसुओं से जिनकी आँखे नम नही,
क्या समझते हो कि उन्हें कोई गम नही।
हमारे दर आ जाओ, सदा बरसात रहती हैं,
कभी बादल बरसते हैं कभी आँखे बरसती हैं।
तमाम अल्फाज़ नाकाफी लगे मुझको,
एक तेरी आँखों को बयां करने में।
निगाहे-लुत्फ से इक बार मुझको देख लेते है,
मुझे बेचैन करना जब उन्हें मंजूर होता है।
साकी को गिला है कि उसकी बिकती नहीं शराब,
और एक तेरी आँखें हैं कि होश में आने नहीं देती।
उफ्फ ये झील जैसी आंखे तेरी
इसमें तैरूं या डूबकर मर जाऊं
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