विश्व सामाजिक न्याय दिवस पर शायरी, स्टेटस, कोट्स, नारे, स्लोगन, कविता एवं हार्दिक शुभकामनाएँ संदेश इन हिन्दी | World Day for International Justice Day Shayari, Status, Quotes, Wishes, Slogans, Poetry & Thoughts
विश्व सामाजिक न्याय दिवस पर शायरी, स्टेटस, कोट्स, नारे, स्लोगन, कविता एवं हार्दिक शुभकामनाएँ संदेश इन हिन्दी | World Day for International Justice Day Shayari, Status, Quotes, Wishes, Slogans, Poetry & Thoughts :-
World Day for International Justice is observed annually on 17 July every year. It is also known as Day of International Criminal Justice or International Justice Day. This day recognise the emerging system of international criminal justice.
क़ानून तो सिर्फ बुरे लोगों के लिए होता है,
अच्छे लोग तो शर्म से ही मर जाते हैं।
इस शहर में चलती है हवा और तरह की,
जुर्म और तरह के हैं सज़ा और तरह की।
प्रेम और कानून में कोई रिश्ता है खून का।
जब तक समझ आता है, नियम बदल जाते हैं।।
ईमानदारी किसी कायदे कानून की मोहताज़ नहीं होती।
इंसाफ ज़ालिमों की हिमायत में जाएगा,
ये हाल है तो कौन अदालत में जाएगा।
न्याय करना सभी नैतिक कर्तव्यों के पालन के समान हैं।
मुन्सिफ़ हो अगर तुम तो कब इंसाफ़ करोगे,
मुजरिम हैं अगर हम तो सज़ा क्यूँ नहीं देते।
रहे दो दो फ़रिश्ते साथ अब इंसाफ़ क्या होगा,
किसी ने कुछ लिखा होगा किसी ने कुछ लिखा होगा।
ऐ देखने वालो तुम्ही इंसाफ़ से कहना,
चाँदी की अँगूठी भी है कुछ गहनों में गहना।
न्याय मिलने तक ये मोमबत्तियाँ जलायेंगे,
सत्ता सुख में सोई सरकार को नींद से जगायेंगे।
हैवानों और कातिलों को मजहब से न जोड़ा जाए,
मुजरिम जो भी हो उसे किसी कीमत पर न छोड़ा जाए।
न्यायालय जो निर्णय करता वह कहलाता न्याय है,
एक पक्ष के लिए न्याय है, विपक्ष कहता अन्याय है,
सचमुच यदि न्याय की परिभाषा हम समझना चाहेंगे,
न्याय खोजने निकलेंगे तो खाली हाथ ही आयेंगे।
किसी निर्दोष को सजा होने से अच्छा है कि न्याय में थोड़ी देरी हो।
यदि आप अन्याय के खिलाफ़ खड़े नहीं हो सकते हैं तो न्याय की उम्मीद न करें।
कोई औरत न कहलाये कभी बदचलन,
यदि आदमी सुधार ले अपने चाल-चलन।
अच्छा समाज तभी बनेगा जब तुम अन्याय के खिलाफ विरोध करने लगोगे।
न्याय में देर करना न्याय को अस्वीकार करना है।
कानून की कुछ नियमित काल्पनिक कथाएँ होती हैं,
जिनके ऊपर वह न्याय के सत्य की स्थापना करती हैं।
यह कहना असम्भव है कि कानून कहाँ समाप्त होता है तथा न्याय आरम्भ होता हैं।
मैं केवल दो बार बर्बाद हुआ हूँ-एक बार मैंने मुकदमा जीता और दूसरा बार जब मैं मुकदमा हारा।
आवश्यकता कोई कानून नही समझती हैं।
कानून विवेक की एक युद्ध सामग्री हैं जिसका निर्माण वह करता है जिसकों समाज की चिंता होती हैं।
नियत अगर फेल होगी,
जिंदगी भर जेल होगी।
सब ओर खुशहाली हो,
न्याय की दीवाली हो।
Justice Shayari
ReplyDeleteNice
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