ओस / कोहरा शायरी, स्टेटस, कोट्स, कविता | Best Os / Kohra Shayari, Status, Quotes, Poetry & Thoughts
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Os Shayari |
न जाने किस हसीना के सपनों में खोया रहता है,
धुंध की चादर ओढ़ कर, देर तक सूरज सोया रहता है।
ये जो आँखों के पर्दों पर कोहरे सा छा जाते हो,
बताओ मुझे तुम क्यों इतना याद आते हो।
सुनो पर्दा-नशीं आज तो आ जाओ मिलने,
भला इस घने कोहरे में तुम्हें कौन देखगा।
कोहरे से एक अच्छी बात सीखने को मिलती है,
कि जब जीवन में रास्ता न दिखाई दे रहा हो तो,
बहुत दूर तक देखने की कोशिश व्यर्थ है,
एक एक कदम चलते चलो, रास्ता खुलता जाएगा।
महकी हूँ में भीग कर उसके प्यार की ओस में,
सोच बरस जाता वो तो क्या कमाल होता।
सर्द फ़िजा.खुशनुमा मौसम और ओस की हल्की बूँदे,
खामखाँ बढ़ा दिया बेचैनियों को जनवरी की लहर ने।
सुनो तुम लौट आओ, सर्द शाम से पहले,
मेरी आँखों से फिर ओस टपकने लगी है।
मैं ओस की बूंद तुम सुबह की धूप हो,
इस इंतज़ार में हूँ की तुम आओ और मैं मिट जाऊँ।
कुछ ज्यादा ही गिरती है ओस इन दिनों,
ये दिसम्बर भी तुम्हें बहुत याद करता है।
ये जो हर रात पलकों पर ओस जम जाती है ना जान,
ये गवाह है कि तुम्हारी मोहब्बत में भीग गए हैं हम।
तुमसे किया हर वादा निभाता हूँ,
ओस की बूँदों से चाँद सजाता हूँ।
वो कली से खिलते होंठ उनके,
काश कि मैं कोई ओस की बूंद होती।
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