जुदाई शायरी, स्टेटस, कोट्स, कविता | Best Judai Shayari, Status, Quotes, Poetry & Thoughts
जुदाई शायरी, स्टेटस, कोट्स, कविता | Best Judai Shayari, Status, Quotes, Poetry & Thoughts :-
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ये अकेलेपन का अहसास इस कदर दर्द भरा सा है,
तन्हाई है, जुदाई है, अश्क है, सब्र अब जुदा सा है।
जुदाई हल नही मसलो का,
समझते क्यों नही हो बात मेरी।
जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िंदगी ने भर दिए,
तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया।
जुदा हो कर भी जी रहे हैं मुद्दत से दोनों,
कभी कहते थे दोनों कि जुदाई मार डालेगी।
जुदा होकर भी जुदाई नहीं होती इश्क,
उम्र कैद है प्यारे इसमें रिहाई नहीं होती।
तेरी जुदाई का शिकवा करूँ भी तो किससे करूँ,
यहाँ तो हर कोई अब भी मुझे तेरा समझता हैं।
बेवफा वक़्त था तुम थे या मुकद्दर था मेरा,
बात इतनी ही है की अंजाम जुदाई निकला।
अगर जुदाई जरुरी है तो "बेशक रुठ जाओ,
तुम "जी" सकते हो, तो मर "मैं भी नहीं जाऊँगा।
हर दर्द से बड़ा है दर्द जुदाई का,
एक लम्हा जीने के लिए सौ बार मरना पड़ता है।
कोशिश तो होती है के तेरी हर ख्वाइश पूरी करूँ, पर डर लगता है के तू ख्वाहिश में मुझसे जुदाई न मांग ले।
भूले है रफ्ता रफ्ता उन्हें मुद्दतों में हम किश्तों में, खुदखुशी का मजा हमसे पूछिये।
कैसे गुजरती है मेरी हर एक शाम तेरे बगैर,
अगर तू देख ले तो कभी तन्हा ना छोड़ती मुझे।
ऐ जिंदगी काश तू ही रूठ जाती मुझसे,
ये रूठे हुए लोग मुझसे मनाये नहीं जाते।
तुम्हे जब कभी मिले फुर्सतें मेरे दिल से बोझ उतार दो,
मैं बहुत दिनों से उदास हूँ मुझे कोई शाम उधार दो।
बेताब मै ही नही दर्द-ए-जुदाई की कसम,
रोते तुम भी होंगे करवट बदल बदलकर।
इतना बेताब न हो मुझसे बिछड़ने के लिए,
तुझे आँखों से नहीं मेरे दिल से जुदा होना है।
एक लफ्ज़ है जुदाई इसे सह कर तो देखो,
तुम टूट के बिखर ना जाओ तो कहना।
अब जुदाई के सफ़र को मेरे आसान करो,
तुम मुझे ख़्वाब में आकर न परेशान करो।
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें,
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें।
इस मेहरबाँ नज़र की इनायत का शुक्रिया,
तोहफ़ा दिया है ईद पे हम को जुदाई का।
जाने उस की जुदाई क्या होगी,
जिसका मिलना ही हादसा है मुझे।
कह के आ गए उनसे कि जी लेंगे तुम्हारी बिन,
उनके जुदा होते ही जान पे बन आई है।
लाएँगे कहाँ से हम जुदाई का हौसला,
क्यों इस क़दर मेरे करीब आ रहें हैं आप।
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम,
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ।
बिछडते बिछडते पलट कर उसने सौ बार देखा,
जुदाई की सारी रस्में निभाती गई वो।
धमकियाँ देते हो जुदाई की,
उफ्फ - मोहब्बत में बदमाशियाँ।
तुमको ही सहना है गम जुदाई का,
मेरा क्या है मैं तो मर जाऊंगा।
ये मुलाक़ात आख़िरी तो नहीं,
हम जुदाई के डर से पूछते हैं।
हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई था अगर,
फिर ये हंगामा मुलाक़ात से पहले क्या था।
ना जाने मेरी मौत कैसी होगी,
पर ये तय हैं तेरी जुदाई से बेहतर होगी।
कभी-कभी बहुत सताता हैं यही सवाल मुझे,
हम मिले ही क्यों थे जब हमें मिलना ही नही था।
तेरे होकर भी तुझसे दुर हैं हम,
अब इससे बढ़कर और क्या वफा होगी।
दिल से निकली हैं नहीं शाम जुदाई वाली,
तुम तो कहते थे बुरा वक्त गुजर जाता हैं।
मैं अमन सिंह आपका स्वागत करता हूं अपने इस ब्लॉग पर, आपको यहां बहुत ही खूबसूरत शायरियों का कलेक्शन मिलेगा। मैं आशा करता हूं आपको ये शायरियां पसंद आयेगी।
धन्यवाद।।
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