फिक्र शायरी, स्टेटस, कोट्स, कविता | परवाह शायरी | Best Fikr / Parwah Shayari, Status, Quotes, Poetry & Thoughts For Family, Friends, Girlfriends & Boyfriends
फिक्र शायरी, स्टेटस, कोट्स, कविता | परवाह शायरी | Best Fikr / Parwah Shayari, Status, Quotes, Poetry & Thoughts For Family, Friends, Girlfriends & Boyfriends :-
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अरे, फिक्र तो मुझे इस बात की हैं कि मेरे वगैर तेरा क्या होगा
तुझे तो इतना खबर नहीं कि जिस भीड़ में तु खड़ी हैं वहाँ तेरा कोई नही हैं।
-अमन सिंह
फिक्र है सब को, खुदको साबित करने की,
जैसे ये ज़िंदगी, ज़िंदगी नही कोई इल्ज़ाम है।
कैसे दिन आये कि तेरा ज़िक्र फ़साना हुआ है,
ऐसे लगता है तुझे देखे ज़माना हुआ है।
अब नही करेंगें हम फिक्र तेरी,
क्युकी तुम्हारी फिक्र तो जमाना करता हैं।
तुम्हारी फिक्र के लिए,
हमारा कोई रिश्ता हो जरूरी तो नही।
नसीब में नही होते ☺
फ़िक्र करने वाले लोग☺
खुद को इतना अकेला कर दिया है अब तो,
साया भी साथ न चले तो परवाह नहीं।
जो लोग सबकी फिक्र करते हैं,
अक्सर उन्हीं की फिक्र करने वाला कोई नहीं होता।
फ़िक्र तो तेरी आज भी है,
बस, जिक्र का हक नही रहा।
बात बस इतनी सी है हम तुम्हारी फिक्रु तुमसे थोड़ी ज़्यादा करते है।
तुम अपनी फ़िक्र करो जनाब,
हम तो पहले से ही बदनाम हैं।
किसी की चाहत और मोहब्बत पर दिल से अमल करना,
दिल टुटे न उसका इतनी सी फिक्र करना।
अफसोस ये नही है कि दर्द कितना है,
दर्द ये है कि तुम्हे परवाह नही है।
काश हमे बेपरवाह रहना सिखाए कोई,
हम थक गए परवाह करते करते।
पता नही कब जाएगी तेरी लापरवाही की आदत,
पागल कुछ तो सम्भाल कर रखती, मुझे भी खो दिया।
परवाह नहीं मुझे जमाना कितना भी खिलाफ हो,
चलुंगा उसी राह पर जो सीधा और साफ हो।
शौक से तोड़ो दिल मेरा मैं परवाह क्यों करूँ,
तुम ही रहते हो इसमे अपना घर खुद ही उजाड़ोगे।
फिकर करता हू तुम्हारी,
ज़िकर इसका करना जरूरी तो नही।
ये फिकर ये अदावतें ये अंदाज़ ऐ गुफ्तगूं,
संभल जाओ तुम, तुम्हें हमसे मोहब्बत हो रही है।।
मौका मिले कभी तो ये जरुर सोचना एक लापरवाह सा लड़का,
तेरी अपने आप से ज्यादा फ़िक्र क्यू करता था।
तेरे जाने के बाद बस यही ख्याल आता है,
काश, अपनी मोहब्बत का ख्याल रखा होता।
वो हमारी परवाह तक नही करते,
और हम उन्हें खुदा बना बैठे थे।
परवाह करने वाले ढूँढिये,
इस्तेमाल करने वाले आपको खुद ढूढ़ लेंगे।
तेरा ज़िक्र तेरी फ़िक्र तेरा एहसास तेरा ख्याल,
तू खुदा तो नहीं, फिर हर जगह क्यों हैं?
कितनी फ़िक्र है कुदरत को मेरी तन्हाई की,
जागते रहते हैं रात भर सितारे मेरे लिए।
जो लोग सबकी फिक्र करते हैं,
अक्सर उन्हीं की फिक्र करने वाला कोई नहीं होता हैं।
दौलत नही, शोहरत नही
ना वाह वाह चाहिए,
कहाँ हो? कैसे हो?
दो लब्जो की परवाह चाहिए।
आप हमारी फ़िक्र न किया करो इस कदर,
वरना बम बना लेंगे आपको अपने बच्चो के मदर।
उसके हर शायरी में आज बस मेरा ही जिक्र था,
जब पास था मैं उसके तो कितना बेफिक्र था।
लड़का “Car” वाला नही चाहिए,
लड़का “Care” करने वाला चाहिए।
क्यूँ ना हो उन्हें परवाह हमारी जो हम इतने बेपरवाह हैं,
जरूरत ही नही साबित करने कि हम खुद ही गवाह हैं।
जिक्र तो छोड़ दिया मैंने उसका,
लेकिन कम्बख्त फिक्र नहीं जाती।
फ़िक़्र-ए-दुनिया में
सर खपाता हूँ,
मैं कहाँ और ये वबाल कहाँ?
कौन फिक्र करे किसी और की इस जहाँ में,
चलो कुछ देर और आँख मूँद कर मर जाएँ।
ना कद्र, ना फ़िक्र, ना रहम, ना मेहरबानी,
फिर भी वो कहते हैं बेशुमार इश्क है तुमसे।
आज वही कल है,
जिस कल की फ़िक्र तुम्हें कल थी।
चाहत, फिक्र, इम्तेहान, सादगी, वफा,
मेरी इन्हीं आदतों ने मुझे मरवा दिया।
किसको यह फ़िक्र है कि कबीले का क्या हुआ?
सब इस बात लड़ रहे है कि सरदार कौन है।
मुस्कान के सिवा कुछ न लाया कर चेहरे पर,
मेरी फ़िक्र हार जाती है तेरी मायूसी देखकर।
कभी आओ बैठते है बतलाते है,
दुनिया की फिक्र छोड़, दिल की सुनाते है।
मैं अमन सिंह आपका स्वागत करता हूं अपने इस ब्लॉग पर, आपको यहां बहुत ही खूबसूरत शायरियों का कलेक्शन मिलेगा। मैं आशा करता हूं आपको ये शायरियां पसंद आयेगी।
धन्यवाद।।
Superrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrr 👌
ReplyDeleteAwsome
ReplyDeleteV nice shayri
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