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पापा की छोटी सी परी से पहचाने जाने वाली बिटिया पर शायरी हम शेयर कर रहे है। हमें पूरी उम्मीद है आपको बिटिया पर लिखी गयी यह हिंदी शायरी जरुर पसंद आएगी।
रोशन करेगा बेटा तो बस एक ही कुल को,
दो दो कुलों की लाज होती है बेटियाँ।
घर में रहते हुए ग़ैरों की तरह होती हैं,
बेटियाँ धान के पौधों की तरह होती हैं।
ऐसा लगता है कि जैसे ख़त्म मेला हो गया,
उड़ गईं आँगन से चिड़ियाँ घर अकेला हो गया।
तो फिर जाकर कहीँ माँ- बाप को कुछ चैन पड़ता है,
कि जब ससुराल से घर आ के बेटी मुस्कुराती है।
बेटे भाग्य से होते हैं,
पर बेटियाँ सौभाग्य से होती हैं।
एक मीठी सी मुस्कान हैं बेटी,
यह सच है कि मेहमान हैं बेटी,
उस घर की पहचान बनने चली,
जिस घर से अनजान हैं बेटी।
सारे जहां की खुशियाँ मैं तुझ पर लुटा दूं,
जिस राह से तूं गुज़रे वहां फूल बिछा दूं,
होगी विदा तूं जब भी मेरे आँगन से “बेटी”,
ख्वाहिश है यही ज़मीं से लेकर पूरा आसमां सजा दूं।
ऐ-खुदा, मैं तेरा शुक्रिया बार-बार करती हूँ,
अपनी बिटिया से मैं बहुत प्यार करती हूँ,
रखना तूं उसे सलामत जब तक ये चाँद तारे हैं,
बस यही दुआ मैं तुझसे हज़ार बार करती हूँ।
ये दाग जो लहू के, आँचल पर पड़े थे…
इस ढेर में बेजान से, अरमान पड़े थे…
वो हूबहू इंसान से, पर इंसान ना थे…
वासना की कामना धर, हैवान खड़े थे…
लुटेरा है अगर आज़ाद तो अपमान सबका है,
लुटी है एक बेटी, तो लुटा सम्मान सबका है!
बनो इंसान पहले छोड़ कर तुम बात मज़हब की
लड़ो मिलकर दरिंदो से, ये हिन्दोस्तान सबका हैं!!
सितम करने वालों की वर्दीया जला देना,
जुल्म करने वालों की तख्तीया जला देना,
बहु जलाने का हक तुम्हें अवश्य हैं,
पहले अपनी आंगन की बेटियाँ जला देना।
~अमन सिंह
रो रहे थे सब तो मैं भी फूट कर रोने लगा,
वरना मुझको बेटियों की रुख़सती अच्छी लगी।
ये चिड़िया भी मेरी बेटी से कितनी मिलती जुलती है,
कहीं भी शाख़े- गुल देखे तो झूला डाल देती है।
तू अगर बेटियाँ नहीं लिखता,
तो समझ खिड़कियाँ नहीं लिखता।
बेटी बचाओ और जीवन सजाओ,
बेटी पढ़ाओ और ख़ुशहाली बढ़ाओ।
बेटा अंश हैं तो बेटी वंश हैं,
बेटा आन हैं तो बेटी शान हैं।
बेटियाँ सब के मुक़द्दर में कहाँ होती हैं,
घर खुदा को जो पसंद आये वहाँ होती हैं।
जरूरी नही रौशनी चिरागों से ही हो,
बेटियाँ भी घर में उजाला करती हैं।
लक्ष्मी का वरदान हैं बेटी,
धरती पर भगवान हैं बेटी।
ख्वाबों में जो चाहा था वो प्यार मिला मुझको,
मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको।
भटक रहा था अब तक जिंदगी की गलियों में,
जब से तुझे पाया, जीवन का सार मिला मुझको,
मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको।
शुक्रिया बार-बार तेरा, जो तूं मेरी जिंदगी में आई,
कभी न टूटने वाला एतबार मिला मुझको,
मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको।
दोस्त कभी ऐसा मिला नहीं, जो उम्र भर साथ दे,
तेरे रुप में “बिटिया” वो यार मिला मुझको,
मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको।
खुशियाँ मिली इतनी की झोली में समाती नहीं,
तेरे आने से खुशियों का संसार मिला मुझको,
मेरी भी एक बेटी है, कहने का अधिकार मिला मुझको।
ख्वाबों में जो चाहा था वो प्यार मिला मुझको,
मेरी भी एक बेटी है कहने का अधिकार मिला मुझको।
मेंहदी कुमकुम रोली का त्यौहार नहीं होता,
रक्षाबन्धन के चन्दन का प्यार नहीं होता,
उसका आंगन एकदम, सूना सूना रहता है,
जिसके घर में बेटी का अवतार नहीं होता।
सूने दिन भी दोस्तों, त्यौहार बनते हैं,
फूल भी हंसकर, गले का हार बनते हैं,
टूटने लगते है सारे बोझ से रिश्ते,
बेटियां होती है तो परिवार बनते हैं।
जैसे संत, पुरूष को पावन कुटिया देता है,
गंगा जल धारण करने को लुटिया देता है,
जिस पर लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती की कृपा हो,
उसके घर में ऊपर वाला बिटिया देता है।
उड़ के एक रोज बहुत दुर चली जाती हैं,
घर के शाखों पे ये चिडियों की तरह होती हैं।
पराया होकर भी कभी पराई नही होती,
शायद इसलिए कभी पिता से हँसकर बेटी की बिदाई नही होती।
तेरे लिए ही मां मैं जन्नत से आई हूं,
सच तो ये है माँ मैं तेरी ही परछाई हूं।
आ री निंदिया मेरी बिटिया की पलकों में आ,
आकर उसकी पलकों में कोई प्यारा सा गीत गुनगुना।
आज उस पिता की पलकें ख़ुशी और गम में भीगी थीं,
क्यूंकि आज उसकी बेटी की विदाई थी जो घर को कल तक महकाती थी।
जरूरी नही रौशनी चिरागों से ही हो,
बेटियाँ भी घर में उजाला करती हैं…
बेटियों को धरती पर सिर्फ और सिर्फ प्यार बांटने के लिए ही भेजा गया है, वे परी हैं, वे अप्सरा हैं।
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