अब तो जीने दो कविता, कितना दर्द होता हैं कविता। Aman Singh 's Poem
अब तो जीने दो कविता:-
तुम तो मानव जाति हो ना तुम्हें क्या पता,
पेड़ों के कटने पर कितना दर्द होता हैं,
तुम तो सिर्फ काटना जानते हो।
सिर्फ एकबार तुम कोई मानव काटे जाओगे,
तब तुम्हें महसूस होगा कटने पर कितना दर्द होता हैं।
सदियों से तो काटते ही आए हो,
कभी रास्तों के नाम पर,
कभी शहरों के नाम पर,
तो कभी मेट्रो स्टेशन बनाने के नाम पर,
अब कितना काटोगे।
बहुत दर्द होता हैं बार-बार कटने पर,
बस करो.. अब तो जीने दो.. अब तो जीने दो।
Comments
Post a Comment