जालिया वाला बाग हत्याकांड शायरी, स्टेटस, कोट्स, श्रद्धांजलि मैसेज | Jallian Wala Bagh Hatyakand Pr Shayri, Status, Quotes, Poem In Hindi
जालिया वाला बाग हत्याकांड शायरी, स्टेटस, कोट्स, श्रद्धांजलि मैसेज | Jallian Wala Bagh Hatyakand Pr Shayri, Status, Quotes, Poem In Hindi :-
हमारे "हिन्दी Express" के पाठकों और पहली बार आए खास मेहमानों को जय हिन्द, प्रणाम, नमस्कार।
मैं अमन सिंह आज के इस खास लेख "जालिया वाल बाग हत्याकांड शायरी" पर आप सबका स्वागत, वंदन, अभिन्नदन करता हूं। दोस्तों आज का विषय बहुत ही खास हैं। यकीन मानिये आज के पोस्ट सिर्फ जालिया वाला बाग में शहीद वीरों के नाम हैं।
आग जो सीने में जली थी, ठंडा ना उसे होने दिया,
जलियांवाला बाग के क़िस्से ने चैन से ना सोने दिया,
चुकाना था क़र्ज़ मिट्टी का, लेना था बदला क़ौम का,
जिसके लिए उसने एक लम्बा था इंतज़ार किया,
जा कर लन्दन मारी गोली ओ' ड्वायर के जब सीने में,
तब जा कर उधम सिंह की रूह को था आराम मिला।
जहां बैठ कर आज प्रेम गीत लिखे जाते हैं
हाथ में हाथ डाल कर विहार किया जाता है
एक सूखे कुएं में झांकने को भीड़ जमा होती है
और सिक्के फेंके जाते हैं
धड़ा धड़ तस्वीरें निकाली जाती हैं
वहां दीवारों की ईंटों से आज भी
लहू रिसता है
स्याह लाल
देखा है तुमने?
सोलह सौ पचास गोलियां, चली हमारे सीने पर,
पैरों में बेड़ी डाल, बंदिशें लगी हमारे जीने पर।
इंक़लाब का ऊँचा स्वर, इस पर भी यारों दबा नहीं,
भारत माँ का जयकारा, बंदूकों से डरा नहीं।
अमृतसर की आग हिन्द में, धीरे-धीरे छायी थी। भारत माँ की हथकड़ियाँ, कटने की बारी आयी थी।
इन इतर कयासों को छोड़ो, मैं खूंरेजी का किस्सा हूं,
हूँ ख़्वार मगर पाकीज़ा हूँ, मैं जलियाँ वाला हिस्सा हूं।
शहीदो की चिताओ पर लगेंगे हर वरस मेले,
वतन पर मिटने वालो का यही निशान होगा |
देश के शहीदो को नमन
जय हिन्द जय शहीद !!
आओ झुक कर सलाम करे उनको,
जिनके हिस्से मे ये मुकाम आता है,
खुसनसीब होता है वो खून,
जो देश के काम आता है |
देश के शहीदो को नमन
जय हिन्द जय शहीद !!
खुशबू बन के महका करेंगे हम लहलहाती हर फसलो में,
साँस बन के गुनगुनायेंगे आने वाली हर नस्लों में।
मुकम्मल है इबादत और मैं वतन ईमान रखता हूँ
वतन की शान की खातिर हथेली पर जान रखता हूँ
क्यों पढ़ते हो मेरी आँखों में नक्शा किसी और का
देशभक्त हूँ दिल में हिंदुस्तान रखता हूँ
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है।
मैं जला हुआ राख नहीं, अमर दीप हूँ,
जो मिट गया वतन पर मैं वो शहीद हूँ।
जब तुम शहीद हुए थे
तो ना जाने कैसे तुम्हारी माँ सोई होगी
एक बात तो तय है
तुम्हे लगने वाली गोली भी सौ बार रोई होगी
लड़े वो वीर जवानों की तरह ठंडा खून भी फौलाद हुआ,
मरते–मरते भी कई मार गिराए तभी तो देश आजाद हुआ।
चलो फिर से आज वो नजारा याद कर ले,
शहीदों के दिल में थी जो ज्वाला वो याद कर ले,
जिसमे बहकर आजादी पहुंची थी किनारे पे,
देशभक्तों के खून की वो धरा याद कर ले।
न इंतिज़ार करो इनका ऐ अज़ा-दारो,
शहीद जाते हैं जन्नत को घर नहीं आते।
जब देश में थी दीवाली, वो खेल रहे थे होली,
जब हम बैठे थे घरों में, वो झेल रहे थे गोली।
मेरे जज्बातों से इस कदर वाकिफ हैं मेरी कलम
मैं इश्क भी लिखना चाहूँ तो भी, इंकलाब लिख जाता हैं।
'सैंकड़ों परिंदे आसमान पर आज नजर आने लगे''
''बलिदानियों ने दिखाई है राह उन्हें आजादी से उड़ने की''
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